दुनिया तमाम रहस्यों से भरी पड़ी है , ऐसी तमाम जगह भी इस धरा पर हैं जो रहस्य की चादर में लिपटी हुई हैं और मानव की तमाम कोशिशों के बाद भी उनका रहस्य बरकरार है। ऐसी ही एक कहानी है एक रहस्यमई शहर की जो है तो इसी धरती पर, लेकिन इसे किसी ने आज तक देखा नहीं। माना जाता है कि अमेज़ॉन के जंगलों में यह शहर है, जहां तक पहुंचना नामुमकिन है और अगर कोई यहां तक पहुंच भी गया तो वापस जिंदा वापस नहीं आता । 
इसे the lost City of z के नाम से जाना जाता है । ऐसा माना जाता है कि यह एक बेहद उन्नत शहर था । यहां के लोग संपन्न थे और हाई टेक्नोलॉजी के साथ अपना जीवन जीते थे । अमेजॉन के वर्षा वनों में, जहां सूर्य की रोशनी घने जंगलों की वजह से जमीन तक नहीं पहुंच सकती, वहां इस शहर में रोशनी का स्रोत विकसित किया गया था जो पूरे शहर को रोशन करता था ।  यहां तमाम मुश्किलों भरे वातावरण के बाद भी बड़ी संख्या में लोगों के लिए जीवन संभव था।  the lost City of z ब्रिटेन के महान खोजकर्ता कर्नल पर्सी हैरिसन फॉसेट द्वारा इस शहर को दिया गया नाम था। उनके मुताबिक यह अद्भुत शहर  ब्राजील के माटो ग्रोसो के जंगल में मौजूद था, जहां एक प्राचीन सभ्यता निवास करती थी, लेकिन अब वहां सिर्फ खंडहर बचे होंगे।कर्नल फॉसेट ने यह दावा अमेज़न  नदी क्षेत्र के अपने खोजों के आधार पर किया था। 
कर्नल फॉसेट एक जियोग्राफर और आर्कियोलॉजिस्ट थे, जिन्होंने कई अनजाने जंगलों का नक्शा बनाने का काम किया था। उन्होंने अपने जीवन का काफी वक्त अमेजन के जंगलों में बिताया । यही नहीं, यह वही शख्स थे जिन्होंने दुनिया को 65 फीट लंबे एनाकोंडा, 6 फीट बड़ी मकड़ी ,दो नाक वाले कुत्ते जैसे कई अजीब जीवो के बारे में दुनिया को बताया था ।

कर्नल फॉसेट ने Amazon की मूल जन जातियों से संपर्क भी बना लिया था। उनकी उपलब्धियों की दुनिया भर में चर्चा थी, जिससे वह एक महान खोजकर्ता के रूप में स्थापित हो चुके थे। कर्नल फॉसेट इस रहस्यमई शहर को तलाशना चाहते थे । उन्हें इसकी लोकेशन का भी अंदाजा था, उनके मुताबिक यह शहर ब्राजील के घने जंगलों में पहाड़ों से घिरी हुई घाटी में था, जहां पहुंचना बहुत मुश्किल था। इसकी खोज के लिए उन्होंने साल 1920 के दशक में दो बार कोशिश की। लेकिन खराब मौसम ,बीमारी और थकावट की वजह से उन्हें अपने अभियान को बीच में ही रोककर जंगल से लौटना पड़ा । कर्नल फॉसट को उनके अभियान में ब्राजील की लाइब्रेरी में मिली एक पांडुलिपि से काफी मदद मिली थी।जिसमें शहर के बारे में कुछ जानकारी दी गई थी । इसे एक अज्ञात पुर्तगाली खोजकर्ता ने लिखा था । 10 पन्नों की इस पांडुलिपि को मैनो स्क्रिप्ट 512 कहा जाता है।

इस रहस्यमई शहर की कहानीकर्नल फॉसेट के साहस और कोशिशों की वजह से और भी दिलचस्प हो जाती है। 20 अप्रैल 1925 को कर्नल फॉसेट ने एक बार फिर इस शहर को तलाशने का मिशन शुरू किया ।अपने अभियान पर जाने से पहले उन्होंने पत्रकारों से कहा कि हम वापस लौट कर आएंगे और जो हम चाहते हैं उसे वापस लाएंगे । लेकिन शायद कर्नल फॉसेट को नहीं पता था कि यह उनका अंतिम मिशन होगा । उनके इस अभियान पर दुनिया की नजर थी, लोगों को उम्मीद थी कि वह इस बार जरूर उस रहस्यमई शहर को तलाशने में कामयाब हो जाएंगे । इस बार कर्नल फॉसेट के साथ उनका बेटा जैक,  फॉसेट के दोस्त,  2 ब्राजीलियन, दो घोड़े और दो कुत्ते साथ गए थे। 

जंगल की तमाम दिक्कतों को झेलते हुए कर्नल फॉसेट अपनी टीम के साथ 29 मई 1925 को डेड हॉर्स गेम पहुंचे । यहां उन्हें अपने पैसे से खरीदे घोड़े को मजबूरी बस गोरी मारनी पड़ी। यहां उन्होंने उपकरण उतार दिए और गाइड को वापस भेज दिया। यहीं से अपनी पत्नी को लिखे आखरी खत में उन्होंने लिखा कि उनका बेटा जैक पूरी तरह से फिट है और हर दिन मजबूत होता जा रहा है ।उन्होंने यह भी लिखा कि उनका अभियान अंधेरा होते ही अंधेरे में चला जाएगा। इस खत के बाद कर्नल फॉसेट और उनकी टीम के बारे में कोई सूचना नहीं मिली ।जिसके बाद कर्नल फॉसेट और उनकी टीम को लेकर मीडिया में अटकलें लगाई जाने लगी । कहा गया कि कर्नल फॉसेट और उनकी टीम के सदस्यों की मौत हो चुकी है। एक दावे में कहा गया कि कर्नल फॉसेट  जंगल के मूल निवासी बन गए हैं या फिर उन्हें जंगल के लोगों द्वारा कैद कर लिया गया । एक दावा यह कि किया गया कि वह जिंगू नदी के किनारे नरभक्षी जनजाति के प्रमुख बन गए । उनके मलेरिया, भुखमरी या जंगली जानवरों के हमलों या किसी हादसे में मौत की बातें भी कही गई। साल 1928 में रॉयल ज्योग्राफिक सोसायटी ने उन सभी की खोज के लिए अभियान शुरू किया । कई कोशिशों के बाद भी आज तक यह पता नहीं चल सका कि जब कर्नल फॉसेट अपनी मंजिल के काफी करीब तक पहुंच गए थे तब उनके साथ क्या हुआ ?
साल 2005 में एक पत्रकार ने दावा किया कि यहां की जनजातियों ने अपने मौखिक इतिहास में एक खोज कर्ता के साथ मुलाकात का भी जिक्र किया था । उनका कहना था कि उस खोजकर्ता ने उनकी चेतावनी या नहीं मानी थी। हालांकि इस दावे में यह साफ नहीं हो सका कि आखिर कर्नल फॉसेटऔर उनके साथियों के साथ क्या हुआ । एक दिलचस्प दावा यह भी किया जाता है कि कर्नल फॉसेट और उनकी टीम इस रहस्यमई शहर तक पहुंचने में कामयाब हो गई होगी और उन्होंने वहीं रहने और जिंदगी बिताने का फैसला कर लिया होगा, इसलिए वह वापस नहीं आए । तमाम दावों के बाद भी  कर्नल फॉसेट और उनकी टीम के गायब होने के पीछे का रहस्य उस शहर के रहस्य की तरह आज भी बरकरार है।